भूस्खलन , बाढ़ जैसी घटना को रोकने के लिए करें जंगली विलो व छरमा का पौधारोपण : किशन लाल - Smachar

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भूस्खलन , बाढ़ जैसी घटना को रोकने के लिए करें जंगली विलो व छरमा का पौधारोपण : किशन लाल

 भूस्खलन , बाढ़ जैसी घटना को रोकने के लिए करें जंगली विलो व छरमा का पौधारोपण : किशन लाल

कहा, लाहुल के लिंडुर व मनाली के सोलंग नाला में जंगली विलो से हो सकता है बचाव


 मनाली : ओम बौद्ध /

पर्यावरण प्रेमी एवं राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता किशन लाल ने भूस्खलन रोकने के लिए जंगली विलो व छरमा

लगाने की सलाह दी है। मनाली में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि लाहुल के लिंडुर व मनाली के सोलंग नाला में हो रहा भूस्खलन गांव के अस्तित्व के लिए खतरा बने है। उन्होंने कहा कि जंगली विलो व छरमा से इन गांव का कुछ हद तक बचाव हो सकता है। किशन लाल ने कहा कि जंगली विलो भूस्खलन रोकने में मदद करता है क्योंकि इसकी जड़ें मिट्टी को मजबूती से बांधती हैं, जिससे मिट्टी का कटाव कम होता है और ढलानों की स्थिरता बढ़ती है। किशन लाल ने कहा कि इसकी घनी, आपस में गुंथी हुई जड़ें मिट्टी को पकड़कर रखती हैं। पानी के बहाव को धीमा करती हैं और ढलान की सतह को स्थिर बनाती हैं। इसलिए अधिक पेड़ लगाना और ढलानों पर वनस्पति आवरण बनाए रखना भूस्खलन से बचाव के सबसे प्रभावी और किफायती तरीकों में से एक है। उन्होंने कहा कि विलो जैसे पेड़ों की जड़ें आपस में मिलकर मिट्टी को मजबूत बनाती हैं। जड़ें मिट्टी को बांधकर रखती हैं, जिससे पानी के बहाव के साथ मिट्टी का कटाव रुकता है। पेड़ पानी के बहाव को धीमा करते हैं, जिससे मिट्टी पर पड़ने वाले दबाव में कमी आती है। ये सभी कारक मिलकर ढलान की समग्र स्थिरता को बढ़ाते हैं और भूस्खलन के जोखिम को कम करते हैं। उन्होंने कहा कि जिस भी जगह भूस्खलन हो रहा है वहां उनका पौधारोपण कर भूस्खलन के खतरे को कम करें। उन्होंने कहा कि हालांकि पौधारोपण का सही समय मार्च व अप्रैल है लेकिन दिसंबर में भी इसका पौधारोपण कर सकते है।

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