राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर चम्बा कॉलेज में हुआ ज्ञान और संस्कृति का संगम - Smachar

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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर चम्बा कॉलेज में हुआ ज्ञान और संस्कृति का संगम

 राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर चम्बा कॉलेज में हुआ ज्ञान और संस्कृति का संगम


चंबा : जितेन्द्र खन्ना /

आज राजकीय महाविद्यालय चम्बा में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के उपलक्ष्य पर विद्याधारा एजुकेशन सोसाइटी तत्वावधान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

उक्त जानकारी देते हुए विद्याधारा एजुकेशन सोसाइटी की प्रभारी डॉ परणिता गुरदेल ने कहा कि कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. मदन गुलेरिया ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की।

कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम, सह-शैक्षणिक गतिविधियों में निबंध लेखन, भाषण, प्रश्नोत्तरी, पोस्टर बनाओ प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। 

सर्वप्रथम डॉ परणिता गुरदेल द्वारा मुख्यातिथि, निर्णायकों, अध्यापकों व अतिथियों का बैज लगाकर सम्मानित किया गया। सर्वप्रथम मुख्यातिथि द्वारा दीप प्रजवल्लित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गयी। इसके उपरांत विद्यार्थियों द्वारा बेहतरीन सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी गयी। 

इसके उपरांत विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों मे हिमाचली लोक नृत्य, पंजाबी नृत्य, एकल गायन, ख़ुशी का एकल नृत्य, सह-शैक्षणिक गतिविधियों का आयोजन किया गया।

अपने सम्बोधन में प्राचार्य डॉ. मदन गुलेरिया ने कहा कि आज हम उस महान व्यक्तित्व को स्मरण कर रहे हैं जिनका समूचा जीवन शिक्षा, ज्ञान और प्रगतिशील भारत के निर्माण को समर्पित रहा — भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जी। उनका मानना था कि “शिक्षा ही व्यक्ति की असली पूँजी है और समाज की सबसे बड़ी शक्ति।”


राष्ट्रीय शिक्षा दिवस केवल एक औपचारिक दिवस नहीं, बल्कि यह हमें यह सोचने का अवसर देता है कि शिक्षा का वास्तविक अर्थ क्या है। शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें सोचने, समझने और समाज के प्रति उत्तरदायी बनने की शक्ति देती है।

आज के युग में जब तकनीक, प्रतिस्पर्धा और ज्ञान के स्वरूप तेजी से बदल रहे हैं, ऐसे में सार्थक शिक्षा की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। हमें ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है जो बुद्धि के साथ-साथ चरित्र का भी निर्माण करे। एक सच्चा शिक्षित व्यक्ति वही है, जो अपने ज्ञान का उपयोग समाज और राष्ट्र के हित में करे। मौलाना आज़ाद जी का सपना था – “हर बच्चे तक शिक्षा पहुँचे, और हर नागरिक ज्ञानवान बने।”

आज यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम उस सपने को साकार करें।

इस राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर हम सब यह संकल्प लें 

कि हम शिक्षा के माध्यम से अपने समाज, अपने राज्य और अपने देश के विकास में सक्रिय भूमिका निभाएँगे।

मौलाना आज़ाद जी की शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हुए, हम एक शिक्षित, सशक्त और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान देंगे।

डॉ परणिता गुरदेल ने कहा कि हमारा महाविद्यालय इसी दिशा में निरंतर प्रयासरत है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, नवाचार, अनुसंधान और मानवीय मूल्यों के माध्यम से विद्यार्थियों को जिम्मेदार नागरिक बनाने का कार्य कर रहा है। आपसे अपेक्षा है कि आप न केवल ज्ञान अर्जित करें, बल्कि अपने जीवन में ईमानदारी , अनुशासन, और सहानुभूति जैसे मूल्यों को भी अपनाएँ। “शिक्षा का उद्देश्य परीक्षा में अंक लाना नहीं, बल्कि जीवन में उत्कृष्टता लाना है।”

डॉ परिणिता गुरदेल ने शांति संकल्प एवं प्रतिज्ञा दिलवाते हुए कहा कि हम संकल्प लें कि हम किसी भी परिस्थिति में शांति और मानवता के मार्ग से विचलित नहीं होंगे। एक-दूसरे का सम्मान करेंगे और समाज को बेहतर बनाने में अपनी सकारात्मक भूमिका निभाएँगे।

डॉ परणिता गुरदेल द्वारा एक उत्कृष्ट प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया। 

निर्णायकों के अंतिम निर्णय के अनुसार भाषण प्रतियोगिता में अदिति प्रथम, ललिता द्वितीय और अमृता तृतीय, ममता को सांत्वना पुरस्कार: 

पोस्टर बनाओ प्रतियोगिता में ख़ुशी प्रथम, कामिनी द्वितीय, पंकज तृतीय

निबंध लेखन प्रतियोगिता में : मन्नत शर्मा प्रथम, भावना द्वितीय, कशिश तृतीय

प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में निशा और हिमानी की टीम प्रथम, हितेश और विनोद कुमार की टीम द्वितीय, भावना और दीक्षित की टीम तृतीय रहें। 

सभी विजेताओं को मुख्यअतिथि द्वारा पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। आयोजकों द्वारा मुख्य अतिथि एवं प्राचार्य डॉ मदन गुलेरिआ को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। 

अंत में विशेष हिमाचली लोक नृत्य की प्रस्तुती ने सबको झूमने पर मजबूर कर दिया। 

विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रोफेसर अविनाश, डॉ जयश्री, डॉ विदुषी शर्मा, प्रोफेसर शिल्पा शर्मा, डॉ परिणिता गुरदेल ने निर्णायक की भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम के दौरान प्रोफेसर प्रोफेसर अविनाश, डॉ जयश्री, डॉ संतोष कुमार, डॉ प्रशांत, डॉ विदुषी शर्मा, प्रोफेसर शिल्पा शर्मा व विद्यार्थी उपस्थित रहें।

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