भरमाड़ में आयोजित हुआ इफको उर्वरक विक्रेता प्रशिक्षण कार्यक्रम, लगभग 100 लोगों ने लिया भाग
भरमाड़ में आयोजित हुआ इफको उर्वरक विक्रेता प्रशिक्षण कार्यक्रम, लगभग 100 लोगों ने लिया भाग
भरमाड़ : राजेश कतनौरिय /
ज्वाली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत दी भरमाड़ कृषि सेवा सहकारी सभा समिति, भरमाड़ में आज इफको (IFFCO) उर्वरक विक्रेता प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत एक दिवसीय शिविर का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में स्थानीय सहकारी समितियों के पदाधिकारी, विक्रेता और किसान बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। लगभग 100 प्रतिभागियों ने इस प्रशिक्षण में भाग लेकर अपनी जानकारी को और अधिक समृद्ध किया।
शिविर के दौरान कृषि विशेषज्ञों ने विक्रेताओं को उर्वरकों के वैज्ञानिक एवं संतुलित उपयोग के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की। विशेषज्ञों ने बताया कि फसलों में उर्वरक का उपयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर करना चाहिए, ताकि न केवल उत्पादन में वृद्धि हो बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी लंबे समय तक बनी रहे। किसानों को यह भी समझाया गया कि संतुलित मात्रा में खाद डालने से भूमि की गुणवत्ता पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी सुनिश्चित होता है।
विशेषज्ञों ने इस अवसर पर विक्रेताओं को यह प्रेरित किया कि वे केवल उर्वरक बेचने तक ही सीमित न रहें, बल्कि किसानों को सही परामर्श भी दें। सही मार्गदर्शन से किसान लागत कम कर सकते हैं और उत्पादन में गुणात्मक सुधार कर सकते हैं।
इस प्रशिक्षण शिविर में इफको हिमाचल प्रदेश के राज्य विपणन प्रबंधक डॉ. सुधीर सिंह कटियार, हिमफैड इफको के डेलिगेट डायरेक्टर कर्ण ओबराय, इफको कांगड़ा के क्षेत्रीय अधिकारी श्रेय सूद, एडीओ फतेहपुर सुनीता वालिया, भरमाड़ सचिव हरदेव सिंह, पल्ली बनाल सभा समिति सचिव सुशील कुमार, पंचायत भरमाड़ के प्रधान सुशील कुमार, पूर्व सभा सचिव शेर सिंह सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
स्थानीय किसानों में पवन कुमार खट्टा, सुभाष चंद टैंव, रोशन खट्टा और राजेश कतनौरिया समेत कई अन्य किसानों ने भी प्रशिक्षण में भाग लिया। सभी उपस्थित किसानों और विक्रेताओं ने इस शिविर को ज्ञानवर्धक और उपयोगी बताया।
कार्यक्रम के अंत में सहकारी समिति के पदाधिकारियों ने इफको प्रबंधन और कृषि विशेषज्ञों का धन्यवाद किया और भविष्य में ऐसे और शिविर आयोजित करने की मांग रखी, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के अधिक से अधिक किसान नवीनतम कृषि तकनीकों और उर्वरकों के वैज्ञानिक उपयोग से लाभान्वित हो सकें।
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