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विधानसभा में नियम 67 के तहत चर्चा: आपदा राहत को लेकर नेता प्रतिपक्ष ने साधा सरकार पर निशाना

 विधानसभा में नियम 67 के तहत चर्चा: आपदा राहत को लेकर नेता प्रतिपक्ष ने साधा सरकार पर निशाना


शिमला : गायत्री गर्ग /

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में सोमवार को नियम 67 के तहत प्राकृतिक आपदा पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार के राहत कार्यों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने आपदा प्रबंधन में गंभीर लापरवाही बरती है और आपदा राहत को भी राजनीतिक रंग देने की कोशिश की है।

राहत सामग्री को अपना बताने का आरोप

जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से लोग आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लिए राहत सामग्री लेकर पहुंचे, लेकिन अधिकारियों ने नाके लगवाकर उन्हें एसडीएम कार्यालय में सामग्री जमा करने का दबाव बनाया। उन्होंने कहा—

“जो खुद नहीं कर सकते, कम से कम जो लोग कर रहे हैं उन्हें मेहरबानी करके करने दिया जाए। सरकार ने दूसरों की मदद को भी अपना बताने की कोशिश की है।”

राहत की पर्याप्तता पर सवाल

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आपदा से प्रदेश में हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ, लेकिन मुख्यमंत्री की ओर से महज दो करोड़ रुपए की सहायता राशि किस्तों में दी गई। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इसके बाद भी सरकार चाहती है कि विपक्ष उनकी वाहवाही करे।

उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार को चाहिए कि वह ईमानदारी से मूल्यांकन करे कि दी गई राहत पर्याप्त है या नहीं।

सड़कों की बहाली पर सरकार घिरी

जयराम ठाकुर ने कहा कि डेढ़ महीने से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी कई सड़कें बंद पड़ी हैं। उन्होंने दावा किया कि “हमने 20 से ज्यादा जेसीबी मशीनें लगाकर रास्ते खोले, जबकि सरकार कुछ मशीनें लगाकर संख्या गिनाती है। सवाल यह है कि कितनी मशीनें लगाई गईं नहीं, बल्कि कितनी लगनी चाहिए थीं ताकि सड़कें समय पर खुल जातीं।”

भ्रष्टाचार के आरोप

नेता प्रतिपक्ष ने आपदा राहत कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा कि आपदा के दौरान सत्ता से जुड़े नेताओं ने इसे अवसर बना लिया और भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं पार कर दीं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं ने उन सड़कों पर टेंडर निकालने और पैसा लेने की कोशिश की जिन्हें स्थानीय लोगों की मदद से खोला गया।

उन्होंने कहा— “आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत पहुंचाने की बजाय सरकार का ध्यान वहां जो कुछ है उसे छीनने पर ज्यादा केंद्रित रहा।”

अन्य मुद्दों पर भी हमलावर

जयराम ठाकुर ने सरकार पर हॉर्टिकल्चर कॉलेज को बंद करने की कोशिश का भी आरोप लगाया और कहा कि सरकार आपदा के नाम पर पुराने संस्थानों और ढांचों को निशाना बना रही है। उन्होंने कहा कि फौरी राहत के मात्र 2500 रुपये देने में सरकार को हफ्तों लग गए, लेकिन आपदा प्रभावितों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने में एक मिनट भी नहीं लगा।

उन्होंने मांग की कि सरकार आपदा प्रभावितों के लिए अस्थायी शेल्टर बनाए और राहत कार्यों में तेजी लाए। साथ ही उन्होंने सरकार को नसीहत दी कि विपक्ष की आलोचना करने के बजाय ठोस नीतियों और फैसलों पर ध्यान केंद्रित करे।

अधिकारियों की सराहना

भाषण के अंत में जयराम ठाकुर ने कई अधिकारियों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने कठिन परिस्थितियों में अच्छा काम किया है। उन्होंने उनके प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया, लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि कई जगहों पर अभी बहुत सुधार की जरूरत है और सरकार को इस दिशा में गंभीरता दिखानी चाहिए।

स्थानीय राजनीति पर कटाक्ष

जयराम ठाकुर ने कहा कि आपदा के दौरान भी स्थानीय नेताओं की आपसी खींचतान हद से ज्यादा रही है, जिससे राहत और पुनर्वास कार्य प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि जनता ने सरकार और विपक्ष दोनों से मिलकर काम करने की उम्मीद की थी, लेकिन सत्ता पक्ष ने इसे अवसर बनाकर राजनीति करने में ज्यादा रुचि दिखाई।




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