कुल्लू–मंडी सफर बना मुश्किल, बागवानों व पर्यटकों की बढ़ीं दुश्वारियां : राकेश जमवाल
कुल्लू–मंडी सफर बना मुश्किल, बागवानों व पर्यटकों की बढ़ीं दुश्वारियां : राकेश जमवाल
शिमला
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में गुरुवार को भाजपा के मुख्य प्रवक्ता राकेश जमवाल ने कुल्लू–मंडी मार्ग की बदहाल स्थिति को लेकर सरकार पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि कीरतपुर से मनाली तक का सफर जो सामान्य परिस्थितियों में कुछ घंटों में पूरा हो जाता था, अब लोगों को 15 से 18 घंटे तक लग रहे हैं। यह स्थिति आम जनता, बागवानों और पर्यटकों – तीनों वर्गों के लिए गंभीर परेशानी का कारण बन चुकी है।
जमवाल ने कहा कि भारी बरसात के चलते जगह-जगह सड़कें क्षतिग्रस्त हैं और लगातार भूस्खलन से यातायात बार-बार बाधित हो रहा है। सड़क बाधाओं के चलते ट्रैफिक जाम आम बात हो गई है। उन्होंने सुझाव दिया कि मंडी से बजौरा तक वाया कटौला रोड को वैकल्पिक मार्ग के रूप में सुचारु किया जा सकता है, लेकिन सरकार इस दिशा में गंभीरता से कदम उठाने में नाकाम साबित हो रही है।
🔹 बागवानों की बढ़ी मुश्किलें
मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि इस समय प्रदेश में सेब और मटर का सीजन चरम पर है। लेकिन सड़कें अवरुद्ध होने और लंबी यात्रा के चलते बागवान अपनी उपज समय पर मंडियों तक नहीं पहुँचा पा रहे हैं। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। उपज का समय पर परिवहन न होने से उत्पादकता और बाजार भाव दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
🔹 पर्यटन उद्योग पर संकट
जमवाल ने यह भी कहा कि मनाली अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पर्यटन स्थल है। यद्यपि बरसात के चलते पर्यटकों की संख्या कुछ कम हुई है, लेकिन जिन पर्यटकों ने एडवांस बुकिंग कर रखी है, वे किसी तरह मनाली पहुँच रहे हैं। लंबे जाम और घंटों की थकाऊ यात्रा से न केवल उनकी परेशानी बढ़ रही है, बल्कि हिमाचल की पर्यटन छवि पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है। भविष्य में यह स्थिति प्रदेश के पर्यटन उद्योग के लिए चुनौती बन सकती है।
🔹 सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग
राकेश जमवाल ने सरकार से कड़े शब्दों में आग्रह किया कि ट्रैफिक व्यवस्था को तुरंत दुरुस्त करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि सड़क बाधाओं को शीघ्र दूर कर वैकल्पिक मार्गों को चालू किया जाए, ताकि न तो बागवानों की फसल की ढुलाई प्रभावित हो और न ही पर्यटन उद्योग को नुकसान उठाना पड़े।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था बागवानी और पर्यटन, दोनों पर ही आधारित है। ऐसे में सरकार की लापरवाही न केवल किसानों और बागवानों की मेहनत पर पानी फेर रही है, बल्कि प्रदेश की साख और आय के बड़े स्रोत को भी खतरे में डाल रही है।
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