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हिमाचल विधानसभा में गूंजी ग्लोबल वार्मिंग की चिंता

 हिमाचल विधानसभा में गूंजी ग्लोबल वार्मिंग की चिंता

सबसे युवा विधायक अनुराधा राणा ने प्रमुखता से उठाया मुद्दा


केलांग : ओम बौद्ध /

हिमाचल प्रदेश विधानसभा का सत्र बुधवार को जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकट की चर्चाओं से गूंज उठा। इस दौरान लाहौल-स्पीति की सबसे युवा और ऊर्जावान विधायक अनुराधा राणा ने ग्लोबल वार्मिंग और उससे उपज रही प्राकृतिक आपदाओं का मुद्दा जोरदार ढंग से सदन में उठाया।


उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग आज न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरे विश्व के लिए गंभीर चुनौती बन चुकी है। पहाड़ी राज्यों के लिए यह समस्या और भी विकराल रूप ले रही है, क्योंकि यहां की नाजुक पारिस्थितिकी (Ecology) जलवायु परिवर्तन की चपेट में तेजी से आ रही है।


बादल फटने और बाढ़ ने मचाई तबाही


अनुराधा राणा ने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि केवल पिछले दो महीनों के भीतर लाहौल-स्पीति जिले में 80 से अधिक बार बादल फटने और अचानक आई बाढ़ जैसी घटनाएं दर्ज की गई हैं। इनसे अब तक करीब 25 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति हिमालयी क्षेत्र की नाजुक भौगोलिक और पर्यावरणीय परिस्थितियों पर गंभीर खतरे की घंटी है।


हिमनदों पर वैज्ञानिक अध्ययन की मांग


युवा विधायक ने स्पष्ट कहा कि अब हिमनदों (Glaciers) और नदियों के प्रवाह पर गहन वैज्ञानिक अध्ययन करना समय की सबसे बड़ी मांग है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस ओर गंभीर कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में स्थिति और भयावह हो सकती है।


विकास योजनाओं पर पुनर्विचार का सुझाव


अनुराधा राणा ने विधानसभा में कहा कि देश का कोई भी हिस्सा प्राकृतिक आपदाओं से अछूता नहीं है, इसलिए विकास परियोजनाओं को लागू करने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment) अनिवार्य किया जाना चाहिए।


उन्होंने विशेष रूप से चंद्रभागा नदी पर प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि मौजूदा हालात में इन योजनाओं पर पुनर्विचार आवश्यक है। उन्होंने कहा, “विकास तभी सार्थक है, जब वह वैज्ञानिक और पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित हो।”


राजमार्ग निर्माण कार्यों की जांच की मांग


विधानसभा में बोलते हुए उन्होंने यह भी मांग रखी कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा राज्य में चलाए जा रहे निर्माण कार्यों की जांच एक उच्च स्तरीय समिति से करवाई जाए। उनका कहना था कि कई जगहों पर कार्य करते समय पर्यावरणीय संतुलन की अनदेखी की जा रही है, जिसका खामियाजा पहाड़ी जनता को आपदाओं के रूप में भुगतना पड़ रहा है।


सांसदों से संसद में हिमाचल की आवाज बुलंद करने का आग्रह


अनुराधा राणा ने प्रदेश के सातों सांसदों से भी अपील की कि वे हिमाचल के नाजुक पर्यावरणीय मुद्दों को संसद में मजबूती से उठाएं। उन्होंने विशेष रूप से वन संरक्षण अधिनियम (FCA) से जुड़े मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए, ताकि हिमाचल की पारिस्थितिकी को सुरक्षित रखा जा सके।


पर्यावरण संरक्षण को राजनीति से ऊपर रखने की अपील


अपने संबोधन के अंत में युवा विधायक ने कहा कि पर्यावरणीय संकट केवल राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के अस्तित्व से जुड़ा प्रश्न है। उन्होंने सभी दलों से राजनीति से ऊपर उठकर इस विषय पर एकजु

ट होकर ठोस कदम उठाने की अपील की।

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