कांगड़ा बैंक में घोटालों की जांच की मांग: घनश्याम शर्मा बोले, पूंजीपतियों के हाथों लुट रहा ग्रामीणों का बैंक - Smachar

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कांगड़ा बैंक में घोटालों की जांच की मांग: घनश्याम शर्मा बोले, पूंजीपतियों के हाथों लुट रहा ग्रामीणों का बैंक

कांगड़ा बैंक में घोटालों की जांच की मांग: घनश्याम शर्मा बोले, पूंजीपतियों के हाथों लुट रहा ग्रामीणों का बैंक 

(पालमपुर: अमित कुमार)

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और हिमाचल प्रदेश कर्मचारी कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष घनश्याम शर्मा ने कांगड़ा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह बैंक, जिसे ग्रामीण जनता के कल्याण के लिए स्थापित किया गया था, आज पूंजीपतियों के हितों का साधन बन गया है। घनश्याम शर्मा ने कहा कि यह बैंक ग्रामीणों की खून-पसीने की कमाई से खड़ा हुआ था, लेकिन आज इसका प्रबंधन और बोर्ड खुद पूंजीपतियों के साथ मिलकर इसे लूटने में लगे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बैंक प्रबंधन की लापरवाही और पूंजीपतियों के प्रभाव के चलते, करोड़ों रुपये के ऋण माफ किए गए हैं, और इसका सीधा नुकसान आम जनता को हो रहा है। शर्मा ने मांग की कि बैंक प्रबंधन को पिछले 20-25 वर्षों का श्वेत पत्र जारी करना चाहिए, जिसमें यह स्पष्ट हो कि कितने गरीब लोगों के ऋण माफ किए गए और कितने पूंजीपतियों के करोड़ों के लोन राइट ऑफ किए गए। उन्होंने कहा कि यह बैंक अब पारदर्शिता से नहीं, बल्कि मिलीभगत से चल रहा है। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बैंक में बोर्ड सदस्यों और मैनेजमेंट से जुड़े लोगों के रिश्तेदारों को बिना औपचारिक प्रक्रिया के नौकरियां दी गईं, और उन्हें बिना उचित जांच के भारी-भरकम ऋण भी प्रदान किए गए। शर्मा ने कहा कि यह सब एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत हुआ है। घनश्याम शर्मा ने प्रदेश सरकार और बैंक प्रबंधन से मांग की कि पूरे मामले की जांच किसी स्वायत्त संस्था या सीबीआई से करवाई जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो।

पालमपुर के होटल सौदे पर भी उठाए सवाल

उन्होंने पालमपुर स्थित एक होटल की बिक्री पर भी सवाल खड़े किए। उनका कहना है कि यह होटल जब 50 से 60 करोड़ रुपये में खरीदे जाने को कई लोग तैयार थे, तो कांगड़ा बैंक प्रबंधन ने इसे मात्र 21 करोड़ रुपये में क्यों बेच दिया? शर्मा ने कहा कि इस सौदे की भी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, ताकि यह पता चल सके कि इसके पीछे कौन-सी मजबूरियाँ थीं या किसका हित साधा गया। शर्मा ने कहा कि यदि जल्द इस मामले में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह बैंक न केवल अपना सामाजिक दायित्व खो देगा, बल्कि ग्रामीण जनता का भरोसा भी टूट जाएगा।

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