जनता परेशान, निजी क्लीनिक कूट रहे चांदी
जनता परेशान, निजी क्लीनिक कूट रहे चांदी
व्यवस्था परिवर्तन की सरकार में विशेषज्ञ डॉक्टरों का अभाव
नूरपुर : विनय महाजन /
नूरपुर उपमंडलीय अस्पताल में लंबे समय से कई महत्वपूर्ण पद खाली पड़े होने के कारण क्षेत्र की जनता को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। वर्तमान में इस अस्पताल में नेत्र रोग, त्वचा रोग, रेडियोलॉजी तथा शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद रिक्त हैं। इन पदों के न भरे जाने से न केवल नूरपुर बल्कि आसपास के चार हल्कों की जनता भी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है।नूरपुर विधानसभा क्षेत्र से लगे ज्वाली, फतेहपुर और इंदौरा उपमंडलीय अस्पतालों में अपेक्षाकृत बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं। वहीं चुबाड़ी उपमंडल के लोग भी नूरपुर अस्पताल पर निर्भर हैं और उन्हें भी इलाज के लिए भारी असुविधा झेलनी पड़ रही है।अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट न होने के कारण मरीजों को एक्स-रे और विभिन्न प्रकार के स्कैन बाहर से कराने पड़ते हैं। निजी क्लीनिक इन जांचों के लिए सरकारी अस्पताल की तुलना में तीन गुना अधिक शुल्क वसूल रहे हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए सरकारी अस्पताल में सभी टेस्ट निशुल्क होने चाहिए, लेकिन उन्हें भी निजी लैब का सहारा लेना पड़ रहा है।गौरतलब है कि सिविल अस्पताल नूरपुर 200 बिस्तरों वाला अस्पताल है, जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में मरीज उपचार के लिए आते हैं। लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टरों के न होने से लोगों का भरोसा निजी क्लीनिकों पर बढ़ता जा रहा है और वे मजबूरी में अधिक पैसे खर्च करने को विवश हैं।क्षेत्रवासियों का कहना है कि भाजपा सरकार के समय इस अस्पताल को "रेफर अस्पताल" कहा जाता था। आज भी व्यवस्था परिवर्तन की सरकार में यही स्थिति बनी हुई है। मार्च 2025 में कुछ विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती के आदेश जारी हुए थे, लेकिन अभी तक अमल नहीं हुआ। लोगों का आरोप है कि सरकार आदेश जारी तो करती है, पर राजनीतिक दबाव के चलते उनका तबादला कहीं और कर दिया जाता है।
इस मामले पर भाजपा विधायक रणबीर सिंह निक्का ने कहा कि उन्होंने कई बार सरकार से सिविल अस्पताल नूरपुर में खाली पदों को भरने की मांग उठाई, लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया। उनका कहना है कि “सरकार इस हलके से भेदभाव कर रही है। शिशु मातृ अस्पताल आज तक धरातल पर काम शुरू नहीं कर पाया, यह भेदभाव नहीं तो और क्या है?”
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