घटनालू में फोरलेन कटिंग से बढ़ा भूस्खलन का खतरा, हाईटेंशन टावर पर मंडरा रहा संकट
घटनालू में फोरलेन कटिंग से बढ़ा भूस्खलन का खतरा, हाईटेंशन टावर पर मंडरा रहा संकट
शाहपुर पठानकोट-मंडी फोरलेन निर्माण कार्य के दौरान हो रही अव्यवस्थित कटिंग अब लोगों की जान और सुरक्षा के लिए खतरा बनती जा रही है। शाहपुर उपमंडल के घटनालू क्षेत्र में शानन विद्युत परियोजना का हाईटेंशन टावर लगातार खिसक रही जमीन की चपेट में आ गया है। स्थिति यह है कि टावर कभी भी धराशायी हो सकता है। इससे न केवल विद्युत आपूर्ति बाधित होगी, बल्कि आसपास रह रहे लोगों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाएगी।
लगातार खिसक रही जमीन, बढ़ रही दिक्कतें
स्थानीय लोगों का आरोप है कि निर्माणाधीन कंपनी ने नियमों और तकनीकी मानकों की अनदेखी करते हुए पहाड़ को लगभग 90 डिग्री एंगल से काट दिया। नतीजा यह हुआ कि भारी मात्रा में मिट्टी और पत्थर लगातार नीचे खिसक रहे हैं। बरसात के मौसम में स्थिति और भी बिगड़ गई है। पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण टावर के आसपास की जमीन और अधिक धंसने लगी है। अब मलबा सीधे टावर के पायों तक पहुंच चुका है।
सड़क यातायात भी प्रभावित
भूस्खलन से फोरलेन की एक लेन पूरी तरह बंद हो चुकी है। दूसरी लेन पर भी वाहनों की आवाजाही बेहद खतरे में है। कभी भी भारी मलबा आकर सड़क को पूरी तरह जाम कर सकता है। स्थानीय लोगों और यात्रियों का कहना है कि यह स्थिति आए दिन जानलेवा साबित हो सकती है।
बड़े हादसे की आशंका
लोगों का कहना है कि यदि समय रहते टावर को सुरक्षित नहीं किया गया तो यह किसी भी क्षण गिर सकता है। इससे क्षेत्र की बिजली आपूर्ति ठप हो जाएगी और आसपास रह रहे लोगों की जान पर भी संकट आ सकता है। इतना ही नहीं, गिरने पर टावर सड़क पर भी आ सकता है जिससे बड़े पैमाने पर हादसा होने की आशंका है।
क्षेत्रवासियों की मांग
ग्रामीणों ने केंद्र और राज्य सरकार से गुहार लगाई है कि शानन विद्युत परियोजना के इस हाईटेंशन टावर को तुरंत सुरक्षित करने के पुख्ता उपाय किए जाएं। यदि आवश्यक हो तो इसे किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट किया जाए। लोगों का कहना है कि यह समस्या लंबे समय से बनी हुई है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
लोगों का कहना है कि बार-बार शिकायतों और चेतावनियों के बावजूद प्रशासन और कंपनी इस गंभीर समस्या पर ध्यान नहीं दे रही। यदि हालात ऐसे ही बने रहे तो किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है और इसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित विभाग और निर्माणाधीन कंपनी की होगी।
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