संविधान की भावना का सम्मान करते हुए पंचायतीराज चुनाव समय पर हों : तन्जिन वंगज्ञाल रुमबाह
संविधान की भावना का सम्मान करते हुए पंचायतीराज चुनाव समय पर हों : तन्जिन वंगज्ञाल रुमबाह
काजा : ओम बौद्ध /
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243(ई) के अनुसार पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल पाँच वर्ष का निर्धारित किया गया है और उसकी अवधि समाप्त होने से पहले चुनाव संपन्न कराना संवैधानिक दायित्व है। इसी संदर्भ में लाहौल स्पीती के भाजपा युवा नेता एवं सक्रिय सदस्य तन्जिन वंगज्ञाल रुमबाह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज चुनावों को मार्च 2026 तक टालने की बजाय दिसंबर 2025 या जनवरी 2026 में ही संपन्न कराया जाना चाहिए। चुनावों का समय पर होना केवल प्रशासनिक आवश्यकता नहीं, बल्कि यह लोकतंत्र की गरिमा और जनता के अधिकारों की रक्षा का विषय है। पंचायतीराज संस्थाएँ लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव हैं, जहाँ जनता सीधे शासन में भागीदारी करती है। यदि चुनावों में देरी होती है, तो न केवल विकास कार्य प्रभावित होते हैं, बल्कि जनता की आवाज़ भी कमजोर पड़ती है। लाहौल-स्पीति की भौगोलिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए तन्जिन वंगज्ञाल रुमबाह ने कहा कि जिले की जलवायु और भौगोलिक स्थिति अन्य जिलों से भिन्न है। दिसंबर माह में मौसम अनुकूल रहता है और जनसंपर्क भी संभव होता है, जबकि जनवरी के बाद पूरा क्षेत्र बर्फ की मोटी चादर से ढक जाता है। ऐसे में यदि चुनाव मार्च तक टाले गए, तो यह हिमाचल प्रदेश समेत जनजाति जिला लाहौल-स्पीति के मतदाताओं के साथ अन्याय होगा। उन्होंने कहा कि समय पर चुनाव होने से न केवल संवैधानिक मर्यादा बनी रहेगी, बल्कि पंचायत स्तर पर विकास कार्यों की निरंतरता भी बनी रहेगी। नई पंचायतों के गठन से स्थानीय प्रतिनिधि तुरंत जनता के कार्यों को गति दे सकेंगे।
तन्जिन वंगज्ञाल रुमबाह ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग से आग्रह किया कि संविधान की भावना और जनभावनाओं का सम्मान करते हुए पंचायतीराज चुनावों को निर्धारित समय पर, पारदर्शी, निष्पक्ष और जनहित में आयोजित किया जाए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र तभी मजबूत बनेगा जब जनता की भागीदारी और संवैधानिक व्यवस्था दोनों का समान रूप से पालन हो।


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