लोकसभा में अमित शाह ने पेश किया संविधान संशोधन बिल, विपक्ष ने किया हंगामा
लोकसभा में अमित शाह ने पेश किया संविधान संशोधन बिल, विपक्ष ने किया हंगामा
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने राजनीति में शुचिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लोकसभा में बड़ा कदम उठाया है। गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को सदन में 130वां संविधान संशोधन बिल पेश किया। इस बिल में प्रावधान है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री ऐसे अपराध में आरोपी हैं, जिसमें 5 साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है, और वे लगातार 30 दिन तक न्यायिक हिरासत में रहते हैं, तो उन्हें अपने पद से अनिवार्य रूप से इस्तीफा देना होगा।
विपक्ष का विरोध
बिल पेश होने के बाद सदन में हंगामा देखने को मिला। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने इसे संविधान की मूल भावना के खिलाफ करार दिया। वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि इस प्रावधान का दुरुपयोग राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में किया जा सकता है।
अमित शाह का पलटवार
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि राजनीति में पारदर्शिता बेहद जरूरी है। उन्होंने अपने जीवन का उदाहरण देते हुए कहा—
"जब मैं गुजरात में मंत्री था और मुझ पर आरोप लगे थे, तब मैंने खुद पद से इस्तीफा दिया और अदालत की प्रक्रिया का पालन किया। बाद में जब अदालत ने मुझे बरी किया तो मैंने दोबारा जिम्मेदारी संभाली। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है और जनता के भरोसे को बनाए रखने के लिए यह बिल जरूरी है।"
आगे का रास्ता
सदन में तीखे विरोध के बीच सरकार ने स्पष्ट किया कि यह बिल जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तय करने और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए है। अब इसे चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया गया है और राज्यसभा में भी पेश किया जाएगा।
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