मंडी जिले में भूस्खलन का खतरा: जोगिंदर नगर के कुंडूनी गांव के लोग हुए बेघर - Smachar

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मंडी जिले में भूस्खलन का खतरा: जोगिंदर नगर के कुंडूनी गांव के लोग हुए बेघर

 मंडी जिले में भूस्खलन का खतरा: जोगिंदर नगर के कुंडूनी गांव के लोग हुए बेघर


हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन की घटनाओं ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है। मंडी जिले के जोगिंदर नगर उपमंडल की नेर घरवासड़ा पंचायत के कुंडूनी गांव में भूस्खलन का गंभीर खतरा मंडरा रहा है, जिसके चलते पूरे गांव को खाली कराना पड़ा। अचानक आई इस आपदा ने गांव के लोगों को बेघर कर दिया है और वे सदमे में हैं।

पिछले कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण कुंडूनी गांव की जमीन लगातार धंस रही है, जिससे घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं और उनकी नींव हिल गई है। ग्रामीणों ने जब अपने घरों की यह हालत देखी, तो उन्होंने तुरंत इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दी।

प्रशासन की त्वरित कार्रवाई

प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को समझा और तुरंत कदम उठाए। जोगिंदर नगर के उपमंडल अधिकारी (एसडीएम) के नेतृत्व में पुलिस, राजस्व और आपदा प्रबंधन की टीमें मौके पर पहुंचीं। उन्होंने स्थिति का जायजा लिया और बिना देरी किए पूरे गांव को खाली करने का आदेश दिया। ग्रामीणों को अपने घरों से केवल जरूरी सामान लेकर पास के सरकारी स्कूल और सामुदायिक भवनों में बनाए गए अस्थाई शिविरों में ले जाया गया।

प्रशासन ने ग्रामीणों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। एसडीएम ने बताया कि भूवैज्ञानिकों की एक टीम को भी बुलाया जा रहा है, जो भूस्खलन के कारणों की जांच करेगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। जब तक गांव को सुरक्षित घोषित नहीं किया जाता, तब तक ग्रामीणों को इन अस्थाई शिविरों में ही रहना पड़ेगा।

पहाड़ी क्षेत्रों में बढ़ते भूस्खलन का खतरा

कुंडूनी गांव की यह घटना हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में बढ़ते भूस्खलन के खतरे को दर्शाती है। भूवैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन, अनियोजित निर्माण और भारी बारिश के कारण ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। इस तरह की आपदाएं न केवल लोगों की जान-माल को खतरे में डालती हैं, बल्कि उनकी जिंदगी भर की मेहनत से बनाए गए घरों और संपत्तियों को भी खत्म कर देती हैं।

स्थानीय लोग इस मुश्किल घड़ी में अपनी आंखों के सामने अपने घरों को खतरे में देख रहे हैं। यह घटना एक बार फिर से इस बात पर जोर देती है कि पहाड़ी इलाकों में निर्माण और विकास कार्यों को और अधिक सावधानी और वैज्ञानिक तरीकों से किया जाना चाहिए।

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