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“हमने मेहनत से आशियाने बनाए, अब कहां जाएंगे?” – प्रभावित परिवार

 “हमने मेहनत से आशियाने बनाए, अब कहां जाएंगे?” – प्रभावित परिवार


नगरोटा बगवां

नगरोटा बगवां प्रेस क्लब भवन में गुरुवार को एक अहम बैठक आयोजित हुई, जिसमें उन भूमिहीन परिवारों ने भारी संख्या में भाग लिया जो सरकारी भूमि पर दशकों से रहकर खोखे-दुकानें चला रहे हैं और छोटे-छोटे आशियानों में जीवनयापन कर रहे हैं। बैठक की अध्यक्षता समाजसेवी मनोज मैहता ने की। इस अवसर पर पूर्व विधायक अरुण कुमार कूका, अधिवक्ता एवं समाजसेवी अतुल भारद्वाज, नगर परिषद अध्यक्षा रजनी बस्सी, उपाध्यक्ष नवयोग भारद्वाज, पार्षद हेमलता, अश्वनी महमी , राजकुमार नंबरदार तथा सरोज मैहता विशेष रूप से उपस्थित रहे।


पीड़ा से भरे स्वर


बैठक में उपस्थित महिलाओं ने रुधे कंठों से अपनी पीड़ा व्यक्त की। जगतम्बा देवी, कांता देवी, आशा बेबी और लता ने कहा—


> “हमने लोगों के घरों में बर्तन मांजकर या खाना बनाकर अपने छोटे-छोटे आशियाने बनाए थे। अगर ये भी गिरा दिए गए तो हम अपने बच्चों को लेकर कहां जाएंगे?”


इसी प्रकार, रसीला राम ने कहा कि उन्होंने जीवन भर कपड़े सिलकर और मोची का काम करके किसी तरह अपना घर बनाया था। उन्होंने दुख प्रकट करते हुए कहा—


> “अब इस बुज़ुर्गावस्था में अगर घर छीन लिया गया तो हम कहां शरण लेंगे?”


उत्तम चंद, गुरुदेव कौंडल और अश्वनी महमी ने बताया कि जिस कॉलोनी में वे रहते हैं, उसके निर्माण के आदेश तत्कालीन पंजाब के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरो ने दिए थे, लेकिन आज तक किसी को भी मकानों का मालिकाना हक़ नहीं दिया गया।


नेताओं और प्रतिनिधियों के विचार


पूर्व विधायक अरुण कुमार कूका ने प्रभावितों को आश्वासन दिया कि वे इस संघर्ष में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि यदि पुनर्वास नीति नहीं बनाई गई तो यह आंदोलन उग्र हो सकता है।


अधिवक्ता अतुल भारद्वाज ने कानूनी पहलुओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि सरकार केवल न्यायालय के आदेश का हवाला देकर हाथ नहीं झाड़ सकती। उन्होंने कहा—


> “बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए बेदखली करना न केवल अन्याय है, बल्कि मानवीय मूल्यों और संविधान के अधिकारों का भी उल्लंघन है।”



नगर परिषद अध्यक्षा रजनी बस्सी और उपाध्यक्ष नवयोग भारद्वाज ने भी प्रभावित परिवारों के समर्थन में अपनी बात रखते हुए सरकार से तत्काल नीति बनाने की मांग की।


आगामी रणनीति:

बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि 23 सितंबर 2025 को धर्मशाला में आयोजित रोष रैली को ऐतिहासिक और सफल बनाने के लिए सभी प्रभावित परिवार और समर्थक एकजुट होकर शामिल होंगे। इस मौके पर यह भी तय किया गया कि आंदोलन को संगठित करने के लिए संघर्ष समिति का विस्तार किया जाएगा।


बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब प्रभावित परिवार चुप रहने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि वे मेहनत-मज़दूरी से अपने आशियाने बनाते रहे हैं और अब उन्हें उजाड़ना अमानवीय होगा। आने वाले दिनों में यह संघर्ष और तेज़ होगा, और इसकी गूंज प्रदेश की राजनीति और सत्ता तक सुनाई देगी।

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