लाहौल-स्पीति: बर्फीले तूफान में फंसे चरवाहों और उनके पशुओं का सफल रेस्क्यू
लाहौल-स्पीति: बर्फीले तूफान में फंसे चरवाहों और उनके पशुओं का सफल रेस्क्यू
लाहौल-स्पीति : ओम बौध्द /
जिले में अचानक खराब हुए मौसम के कारण दो अलग-अलग घटनाओं में फंसे कई चरवाहों और उनके पशुओं को जिला प्रशासन और स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों के सहयोग से सुरक्षित बाहर निकाला गया है। ये बचाव अभियान न केवल समय पर की गई प्रशासनिक कार्रवाई को दर्शाते हैं, बल्कि विपरीत परिस्थितियों में मानव और पशु जीवन की रक्षा के लिए किए गए सराहनीय प्रयासों को भी उजागर करते हैं।
पटसियो में रेस्क्यू ऑपरेशन
पटसियो क्षेत्र में, जहां भारी बर्फबारी और पत्थरों के गिरने से रास्ते अवरुद्ध हो गए थे, वहां कई चरवाहों के फंसे होने की सूचना मिली। इस खबर के मिलते ही, उपायुक्त लाहौल स्पीति, किरण भड़ाना के निर्देश पर जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने तुरंत कार्रवाई की। सीडीपीओ खुशविंदर के नेतृत्व में एक पाँच सदस्यीय बचाव दल को दो गाड़ियों के साथ घटनास्थल के लिए रवाना किया गया।
रास्ते में कई बाधाओं, जैसे भूस्खलन और बर्फ के मलबे, का सामना करने के बावजूद, बचाव दल ने लगभग छह घंटे के अथक प्रयास के बाद चरवाहों का पता लगा लिया। इस दल ने लगभग 2,100 भेड़-बकरियों के साथ फंसे चरवाहों को तत्काल सहायता प्रदान की। बचाव दल ने उन्हें प्राथमिक चिकित्सा के लिए दवाइयाँ (दर्द निवारक, एलर्जी-रोधी दवाएँ, और ओआरएस), 200 किलोग्राम ईंधन की लकड़ी और पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री वितरित की। दुर्भाग्यवश, इस दौरान चरवाहे इंदर सिंह की दो बकरियों की मौत हो गई। चरवाहों ने जिला प्रशासन के त्वरित और समय पर हस्तक्षेप के लिए उपायुक्त किरण भड़ाना का आभार व्यक्त किया।
आज भी, स्थिति का जायजा लेने के लिए एक और टीम को पटसियो भेजा गया है, जिसमें स्वास्थ्य विभाग, पशु चिकित्सा अधिकारी और पटवारी शामिल हैं। यह टीम चरवाहों को अतिरिक्त राहत सामग्री प्रदान करेगी और उनके साथ-साथ उनके पशुओं की विस्तृत स्वास्थ्य जांच भी करेगी।
सतधारा (उदयपुर) में भी मानवीय सहायता
इसी तरह की एक घटना सतधारा (उदयपुर) क्षेत्र में भी सामने आई, जहां लगभग 30 चरवाहे फंसे हुए थे। यहां प्रशासन के साथ-साथ श्री महादेव सेवा संगठन, त्रिलोकिनाथ ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संगठन के स्वयंसेवकों ने मौके पर पहुंचकर पाया कि चरवाहों का भोजन समाप्त हो चुका था, उनके कपड़े पूरी तरह भीग चुके थे और एक चरवाहा घायल भी था।
स्वयंसेवकों ने तुरंत भोजन की व्यवस्था की और घटना की सूचना एसडीएम उदयपुर को दी। प्रशासन की ओर से चरवाहों को 10 कंबल, 3 तिरपाल और एक प्राथमिक चिकित्सा किट उपलब्ध कराई गई। मानवीय सहायता की यह श्रृंखला आज भी जारी है, क्योंकि संगठन के 10 स्वयंसेवक दोबारा सतधारा गए हैं ताकि फंसे हुए चरवाहों को अतिरिक्त भोजन और कंबल वितरित किए जा सकें।
लाहौल-स्पीति में ये सफल बचाव अभियान दिखाते हैं कि जिला प्रशासन, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और स्थानीय स्वयंसेवी संगठन मिलकर कितनी कुशलता से आपात स्थितियों का सामना कर सकते हैं। यह न केवल चरवाहों और उनके पशुओं के लिए जीवन बचाने वाला प्रयास साबित हुआ है, बल्कि यह संकट के समय में आपसी सहयोग और मानवीयता की एक मजबूत मिसाल भी पेश करता है।
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