सेवानिवृत्त अध्यापक जीवन सिंह राणा ने रची सफलता की नई इबारत
सेवानिवृत्त अध्यापक जीवन सिंह राणा ने रची सफलता की नई इबारत
नूरपुर : विनय महाजन /
नूरपुर प्रदेश सरकार से सेवानिवृत्ति के बाद अधिकतर लोग आराम और सुकून का जीवन चुनते हैं लेकिन कांगड़ा जिला के नगरोटा सूरियां क्षेत्र के घार जरोट गांव से संबंध रखने वाले जीवन सिंह राणा ने इस सोच को पूरी तरह बदल कर रख दिया है। शिक्षा विभाग में प्रवक्ता पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने न केवल सक्रिय जीवन को अपनाया, बल्कि प्राकृतिक खेती के माध्यम से एक ऐसी मिसाल कायम की, जो आज क्षेत्र के सैकड़ों किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी है।
कृषक परिवार से ताल्लुक रखने वाले जीवन सिंह राणा ने सितंबर 2020 में पंजाब के बरनाला स्थित एक ड्रैगन फ्रूट फार्म का भ्रमण कर इस नई और लाभकारी फसल की बारीकियां सीखीं। इसके बाद उन्होंने अपने बेटे, सिविल इंजीनियर आशीष राणा और पत्नी कुन्ता राणा के साथ मिलकर कृषि एवं बागवानी के क्षेत्र में एक नई शुरुआत की। उनकी मेहनत का परिणाम पहले ही सीजन में दिखाई देने लगा और दूसरे सीजन तक उन्हें लगभग 1 लाख 25 हजार रुपये की आय प्राप्त हुई। प्रदेश एवं केन्द्र सरकार द्वारा भी उनको विभिन्न मंचों पर सम्मानित किया गया है। जीवन सिंह राणा ने वर्ष 2014 से ही प्राकृतिक खेती को अपनाना शुरू कर दिया था। उन्होंने कृषि विभाग से प्रशिक्षण लेकर विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया।साहीवाल नस्ल की गाय पालकर वे प्राकृतिक खेती की सभी आवश्यक सामग्रियां स्वयं तैयार करते हैं। वे प्राकृतिक खेती के अंतर्गत मल्टी-क्राॅपिंग के प्रयोग भी कर रहे हैं, जिसमें भिंडी और मटर जैसी फसलें शामिल हैंl इस वर्ष हिमाचल प्रदेश बागवानी विभाग के माध्यम से दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित प्रदर्शनी में उनके ड्रैगन फ्रूट का प्रदर्शन किया गया, जहां से यूरोप (इंग्लैंड) तक से आर्डर प्राप्त हुए।जीवन सिंह राणा का कहना है कि उनकी सफलता में हिमाचल प्रदेश बागवानी विभाग और प्राकृतिक खेती योजनाओं का अहम योगदान है।
इस मामले मे उपनिदेशक उद्यान अलक्ष पठानिया ने कहा कि जिला कांगड़ा में उद्यान विभाग द्वारा ड्रैगन फ्रूट की खेती को निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है। वर्तमान में जिले में लगभग 3 हेक्टेयर क्षेत्र को ड्रैगन फ्रूट की खेती के अंतर्गत लाया जा चुका है, जिसमें करीब 5 बागवान इस फसल की खेती कर रहे हैं। यह खेती मुख्य रूप से नगरोटा सूरियां, नूरपुर, देहरा, रैत सहित अन्य क्षेत्रों में की जा रही है।उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट एक कैक्टस प्रजाति की फसल है जो विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है जहाँ तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहता है। इसी कारण उद्यान विभाग द्वारा इसे जिले के गर्म क्षेत्रों में अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है।अलक्ष पठानिया ने कहा कि उद्यान विभाग द्वारा विभिन्न सरकारी योजनाओं के अंतर्गत ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसानों एवं बागवानों को अनेक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। वर्तमान में ड्रैगन फ्रूट 250 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से आसानी से बिक जाता है, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है।अलक्ष पठानिया ने बताया कि वर्तमान में जिले में नगरोटा सूरियां, नूरपुर, रैत और देहरा क्षेत्र के किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं।


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