महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. भीम राव अम्बेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित - Smachar

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महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. भीम राव अम्बेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित

 महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. भीम राव अम्बेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित


 चंबा : जितेन्द्र खन्ना /

आज भारतीय संविधान के शिल्पकार भारत रत्न बाबा साहिब डॉ भीम राव अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के उपलक्ष्य पर अम्बेडकर मिशन सोसाइटी चम्बा,  गुरु रविदास सभा चम्बा, अम्बेडकर सेवानिवृत्त कर्मचारी कल्याण संघ चम्बा व बाल्मीकि सभा चम्बा संयुक्त तत्वावधान में एक श्रद्धांजलि एवं. पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन बाबा साहिब डॉ अम्बेडकर की प्रतिमा के समक्ष किया गया।  

उक्त जानकारी देते हुए अम्बेडकर मिशन सोसाइटी चम्बा के अध्यक्ष  योगेश्वर अहीर ने कहा कि उक्त कार्यक्रम के दौरान चम्बा सदर से विधायक नीरज नय्यर विशेष रूप से उपस्थित रहें। 

उन्होंने कहा कि विश्व ज्ञान के प्रतीक, बोधिसत्व, महामानव, सामाजिक न्याय के पुरोधा, और करोड़ों वंचितों के प्रेरणास्रोत, भारत के संविधान रचयिता भारत रत्न बाबा साहिब डॉ भीम राव अम्बेडकर, 6 दिसम्बर 1956 को इस दुनिया को छोड़ कर चले गए । उन्होंने दलितों, शोषितों, महिलाओं, मज़दूरों व समाज के सभी वर्गों को उनके वंचित अधिकार दिलवाए । समाज में समानता, समरसता व बराबरी का अधिकार दिलवाने में बाबा साहिब का योगदान अतुल्य एवम अनुकरणीय है । इस अवसर पर सर्वप्रथम बाबा साहिब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गयी । उनके चरणों में नमन किया व कृतज्ञता ज्ञापित की गई । 

इसके उपरांत विभिन्न वक्ताओं में योगेश्वर अहीर, अविनाश पाल, जितेश्वर सूर्या, अनूप राही इत्यादि द्वारा डॉ अम्बेडकर के जीवन पर प्रकाश डाला गया । 

अपने सम्बोधन में विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर केवल एक महान व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचार, एक चेतना और एक क्रांति थे। उन्होंने अपने जीवन की सारी प्रतिकूलताओं को परास्त कर शिक्षा, संघर्ष और संकल्प के बल पर वह ऊँचाइयाँ प्राप्त कीं जिन तक पहुँचना किसी सामान्य व्यक्ति के लिए लगभग असंभव था।

बाबासाहेब हमें सिखाते हैं कि ज्ञान ही मुक्ति का मार्ग है। उन्होंने कहा था—“शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो।”

यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि समाज के समग्र उत्थान का सूत्र है।

हमारा संविधान, जिसका निर्माण बाबा साहब ने अद्भुत दृष्टि, तार्किकता और दूरदर्शिता के साथ किया, आज भी विश्व के उत्कृष्ट और सर्वसमावेशी संविधानों में से एक माना जाता है। उन्होंने ऐसे भारत का सपना देखा था जहाँ हर नागरिक को समान अधिकार मिलें, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, वर्ग या लिंग का क्यों न हो।

डॉ. अम्बेडकर का जीवन हमें यह भी सिखाता है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत ईमानदार, तो सफलता निश्चित है। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों, भेदभाव और अन्याय के विरुद्ध अपनी पूरी शक्ति से संघर्ष किया और भारत को आधुनिक लोकतंत्र की मजबूत नींव प्रदान की।

आज परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर हम सभी का कर्तव्य है कि हम समानता और बंधुता को जीवन में उतारें, शिक्षा को सर्वश्रेष्ठ साधन मानें, समाज में फैली हर अन्यायपूर्ण परंपरा को तर्क के आधार पर चुनौती दें और ऐसा समाज बनाने का प्रयास करें जहाँ किसी को अवसरों से वंचित न किया जाए।

हम बाबा साहब के विचारों को मात्र स्मरण न करें, बल्कि उन्हें अपने चरित्र, अपने व्यवहार और अपने कर्मों में उतारने का संकल्प लें। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

इस अवसर पर पार्षद मुगला नेक सिंह, अम्बेडकर मिशन सोसाइटी के अध्यक्ष योगेश्वर अहीर, महासचिव अनूप राही, गुरू रविदास सभा चम्बा के अध्यक्ष जितेंद्र सूर्या, महासचिव वीरेंद्र भट्ट, भूपिंदर अहीर, सुधीर चौहान, गुरू रविदास महासभा हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जितेश्वर सूर्य, सेवानिवृत कर्मचारी कल्याण संघ के अध्यक्ष मनोहर हितेषी, महासचिव शिवचरण चंद्रा, अरुण डालिया, शिवकरण चंद्रा, तरसेम चौहान, विशाल , विनोद काइस्था, अनूप अहीर, कुलदीप अहीर इत्यादि उपस्थित रहे ।

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