जल शक्ति विभाग घेराव विवाद – मजदूर संघ हुए लाल, पूर्व वन मंत्री राकेश पठानियां मांगे सार्वजनिक माफी मांगे
जल शक्ति विभाग घेराव विवाद – मजदूर संघ हुए लाल, पूर्व वन मंत्री राकेश पठानियां मांगे सार्वजनिक माफी मांगे
नूरपुर : विनय महाजन /
नूरपुर जल शक्ति विभाग नूरपुर कार्यालय के घेराव का मामला अब फतेहपुर मे भी तूल पकड़ता जा रहा है। हाल ही में विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने इस घटना का विरोध करते हुए एसडीएम नूरपुर को शिकायत पत्र सौंपा था। अब भारतीय मजदूर संघ भी खुलकर मैदान में उतर आया है और संघ ने साफ चेतावनी दी है कि पूर्व वन मंत्री राकेश पठानियां ने सार्वजनिक तौर पर माफी नहीं मांगी तो मजदूर सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।इस मामले मे जिला कांगड़ा के उपमंडल फतेहपुर स्थित विश्राम गृह में भारतीय मजदूर संघ की बैठक आज प्रदेश अध्यक्ष मदन राणा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में संगठन ने हाल ही में पूर्व वन मंत्री राकेश पठानियां द्वारा जल शक्ति विभाग कार्यालय नूरपुर का घेराव कर अधिकारियों से अभद्र भाषा में बात करने और अशोभनीय टिप्पणी करने पर कड़ी नाराजगी जताई। मजदूर संघ का कहना है कि जब आपदा के समय कर्मचारियों और मजदूरों ने दिन-रात मेहनत कर जल और बिजली आपूर्ति बहाल की, तब इस तरह का व्यवहार उनके मनोबल को तोड़ने वाला है। संगठन ने आरोप लगाया कि पठानियां ने यह सब अपनी राजनीति चमकाने के लिए किया।मजदूर संघ ने कहा कि प्रदेश में पिछले कई महीनों से लगातार बारिश और आपदा की स्थिति बनी हुई है। इस दौरान कर्मचारियों और मजदूरों ने कंधे से कंधा मिलाकर काम किया और पेयजल व बिजली आपूर्ति को दुरुस्त रखा। लेकिन अफसोस की बात है कि ऐसे कठिन समय में भी अधिकारियों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया। संघ ने चेतावनी दी है कि यह किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष मदन राणा ने कहा कि, “आपदा के बीच कर्मचारियों और मजदूरों ने कंधे से कंधा मिलाकर सेवाएं दीं। ऐसे समय में अधिकारियों से अभद्र व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राकेश पठानियां सार्वजनिक माफी मांगे या प्रशासन FIR दर्ज करे, वरना हम सड़कों पर उतरेंगे।”भारतीय मजदूर संघ ने प्रशासन को अल्टीमेटम दिया है कि यदि बीजेपी के इस नेता पर कार्रवाई नहीं हुई तो न सिर्फ रैलियां निकाली जाएंगी बल्कि कर्मचारी काम छोड़कर हड़ताल पर बैठ जाएंगे। संघ का कहना है कि यह सिर्फ जल शक्ति विभाग का मामला नहीं बल्कि कर्मचारियों की इज्जत और आत्मसम्मान का सवाल है। सरकार और प्रशासन को यह समझना होगा कि सेवा देने वाले कर्मचारियों का सम्मान हर हाल में सुरक्षित रहना चाहिए।
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