जेल से स्कूल तक का सफर,जेल प्रशासन की मानवीय पहल - Smachar

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जेल से स्कूल तक का सफर,जेल प्रशासन की मानवीय पहल

जेल से स्कूल तक का सफर,जेल प्रशासन की मानवीय पहल

गाजीपुर जेल: मां की सजा के साथ बचपन न खो दें बच्चे, जेल प्रशासन ने स्कूल भेजकर दिया शिक्षा का अधिकार 

गाजीपुर। जिला कारागार में बंद महिला कैदियों के साथ रह रही दो नन्ही बच्चियों के लिए बुधवार का दिन एक नई सुबह लेकर आया। जेल प्रशासन की मानवीय पहल के तहत, इन बच्चियों का दाखिला शहर के एक कॉन्वेंट स्कूल में कराया गया है। जेल में रहकर सजा काट रही अपनी मां के साथ रह रही ये बच्चियां जब पहली बार स्कूल बैग टांगकर, हंसते-मुस्कुराते जेल के गेट से बाहर निकलीं, तो उनके चेहरे की खुशी देखने लायक थी।

जेल से स्कूल तक का सफर

यह कदम उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल 2022 के प्रावधानों और बाल कल्याण समिति (CWC) के सुझावों के अनुपालन में उठाया गया है। दहेज हत्या के एक मामले में जेल में बंद महिला कैदी की दो 6 वर्ष से कम उम्र की बेटियों, अतिरिक्षा और प्रीति का दाखिला सरस्वती विद्या मंदिर (अभिनव शिक्षा समिति द्वारा संचालित) में क्रमशः एलकेजी और यूकेजी में कराया गया है।

जेल अधीक्षक जगदंबा प्रसाद दुबे ने बताया कि यह सुनिश्चित किया गया है कि बच्चियों की शिक्षा में कोई रुकावट न आए। उनकी सुरक्षा और सुविधा को देखते हुए, महिला कांस्टेबल को रोजाना उन्हें स्कूल छोड़ने और छुट्टी के बाद वापस जेल लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सुबह करीब आठ बजे जब दोनों बच्चियां स्कूल यूनिफॉर्म में जेल से बाहर निकलीं, तो वहां मौजूद हर शख्स इस भावुक पल का गवाह बना।

उज्जवल भविष्य की ओर एक कदम

जेल प्रशासन का यह प्रयास महिला बंदियों के बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें बेहतर भविष्य प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मां की कैद की वजह से बच्चे शिक्षा जैसे बुनियादी अधिकार से वंचित न रहें और उनका बचपन जेल की दीवारों के बोझ तले न दबे।

जेल प्रशासन की इस संवेदनशील पहल की चारों ओर प्रशंसा हो रही है। अधिकारियों ने भी इन बच्चियों के उज्जवल भविष्य की कामना की है। जेल प्रशासन ने यह संदेश दिया है कि हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार है, भले ही उनके हालात कुछ भी हों। इस पहल को आगे भी जारी रखने और अन्य पात्र बच्चों को भी शिक्षा से जोड़ने की योजना है।

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