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टीईटी पास करना शिक्षकों के लिए अनिवार्य: सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

टीईटी पास करना शिक्षकों के लिए अनिवार्य: सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला 

नई दिल्ली: देश में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है। अब सेवा में बने रहने और पदोन्नति (प्रमोशन) पाने के लिए शिक्षकों को टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) पास करना अनिवार्य होगा। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि यह पात्रता परीक्षा पास करना उन सभी शिक्षकों के लिए आवश्यक है, जो अपनी नौकरी जारी रखना चाहते हैं या प्रमोशन की उम्मीद रखते हैं।

क्या है यह फैसला?

यह फैसला राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) द्वारा 2010 में जारी किए गए एक आदेश के बाद आया है, जिसमें प्राथमिक और उच्च प्राथमिक कक्षाओं (कक्षा 1 से 8) में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी को अनिवार्य किया गया था। NCTE ने उस समय शिक्षकों को यह परीक्षा पास करने के लिए पांच साल का समय दिया था, जिसे बाद में चार साल और बढ़ा दिया गया था।

हालांकि, कुछ शिक्षकों ने इस नियम के खिलाफ कोर्ट का रुख किया। इस संबंध में मद्रास हाई कोर्ट की एक बेंच ने जून 2025 में फैसला सुनाया था कि 29 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त हुए शिक्षकों को सेवा में बने रहने के लिए टीईटी पास करना जरूरी नहीं है, लेकिन प्रमोशन के लिए यह अनिवार्य होगा। अब सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के इस फैसले को पलटते हुए सेवा में बने रहने और प्रमोशन, दोनों के लिए टीईटी को अनिवार्य कर दिया है।

अल्पसंख्यक संस्थानों पर फैसला बड़ी बेंच करेगी

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया है कि जिन शिक्षकों की सेवा अवधि पांच साल से अधिक बची हुई है, उन्हें अनिवार्य रूप से टीईटी पास करना होगा। कोर्ट ने यह भी विकल्प दिया है कि जो शिक्षक यह परीक्षा पास नहीं कर पाएंगे, वे या तो नौकरी छोड़ सकते हैं या अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेकर सेवा-लाभ (टर्मिनल बेनिफिट्स) प्राप्त कर सकते हैं।

हालांकि, इस फैसले से जुड़ा एक अहम सवाल अभी भी बाकी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि क्या राज्य सरकारें अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों पर भी टीईटी का नियम लागू कर सकती हैं और यह उनके संवैधानिक अधिकारों को किस हद तक प्रभावित करेगा, इस पर फैसला अब एक बड़ी बेंच करेगी। यह केस सुप्रीम कोर्ट की ही एक बड़ी बेंच के पास रेफर कर दिया गया है। यह फैसला देशभर के शिक्षकों को प्रभावित करेगा और शिक्षा के मानकों को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

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