आपदा से बचाव के लिए देवता ने किया 9 गढ़ों का परिक्रमा, दुर्गम घाटलूगढ़ से रस्सियों के सहारे निकाला देवरथ
आपदा से बचाव के लिए देवता ने किया 9 गढ़ों का परिक्रमा, दुर्गम घाटलूगढ़ से रस्सियों के सहारे निकाला देवरथ
मंडी, हिमाचल प्रदेश। हाल की आपदाओं के बाद संभावित बड़ी विपदा पर विराम लगाने के उद्देश्य से, स्थानीय देवता ने क्षेत्र के 9 गढ़ों की परिक्रमा कर बचाव का सूत्र बांधा है। इसी क्रम में, देवता के रथ को पहाड़ों के खतरनाक रास्तों से निकालना हारियानों (देवता के सेवक) के लिए बड़ी चुनौती साबित हुआ।
चुनौतीपूर्ण घाटलूगढ़ चढ़ाई
शनिवार को सैंकड़ों हारियानों ने मिलकर घाटलूगढ़ की सीधी और दुर्गम चढ़ाई से देवरथ को रस्सियों के सहारे सुरक्षित पार निकाला।
तीन घंटे की इस कड़ी मशक्कत में कई बाधाएं सामने आईं, लेकिन आस्था और देव शक्ति के आगे पहाड़ बौने साबित हुए।
देवलुओं (देवता के पुजारी) में शामिल सनी ठाकुर, हेमराज, गोपी चंद, सुरेश ठाकुर और विशाल ने बताया कि देवता को पहाड़ के उस पार ले जाना जोखिम से भरा था, लेकिन देवता के बल और शक्ति ने उनमें जोश भरा।
उन्होंने यह भी बताया कि सामान्यतः देवरथ को उठाने के लिए दो लोगों की आवश्यकता होती है, लेकिन ऐसी विकट स्थिति में आगे और पीछे चार लोग बैठे थे।
इस रोमांच और आध्यात्मिक सफर की इन दिनों देव समाज में खूब सराहना की जा रही है।
देवता के आदेश और बचाव का सूत्र
देवता छांजणु ने समय रहते ही मानव जाति को देवभूमि के पहाड़ों की प्राकृतिक संपदा का संरक्षण, देव स्थलों की पवित्रता का ध्यान रखने और देव नीति का सही से पालन करने का कड़ा आदेश दिया है।
देवता ने चेतावनी दी है कि यदि इन नियमों का पालन नहीं किया गया, तो वे भी विनाश को देखने के लिए विवश हो जाएँगे।
इस विनाश से बचने के लिए, इंसान को समय रहते राजनीति, समाज नीति और देव नीति में विध्वंस उत्पन्न करने वाले अनुचित कार्यों से दूर रहना होगा।
देवता कमेटी के प्रधान बीरबल ने बताया कि देवता ने 18 दिनों तक चली 9 गढ़ सराज की ऐतिहासिक परिक्रमा कर अनहोनी से बचाव का सूत्र बांधा है।
परिक्रमा का शुभारंभ 10 नवम्बर को भाटकीहार से लाव-लश्कर के साथ किया गया था, जिसमें देवलुओं ने अनेक कठिनाइयों को पार कर साहस का परिचय दिया।
देवलुओं ने यह भी बताया कि गांव-गांव में श्रद्धालु अखरोट और पुष्प वर्षा के साथ देवता का भव्य स्वागत कर रहे हैं।
आपदा प्रभावितों ने मांगा आशीर्वाद
9 गढ़ सराज के गांव-गांव पहुंचे देवता के पास आपदा प्रभावितों ने अपना दुखड़ा सुनाया। अपने आशियानों को खोने का दुख उनकी आँखों में साफ झलक रहा था, जिससे देवता भी भावुक हुए।
प्रभावितों ने देवभूमि पर ऐसी आपदा दोबारा न आए इसके लिए देवता से बचन मांगते हुए सुख-समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद मांगा है।
प्रभावित भीम सेन और झाबे राम ने बताया कि देवता ने देव नियमों का पालन करने का आदेश दिया है, तभी देवता आपदा को देवभूमि से दूर रखेंगे।


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