पोंग वेटलैंड बना शिकारियों और भू-माफिया का अड्डा, विस्फोटकों से मर रही गायें, ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से लगाई गुहार - Smachar

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पोंग वेटलैंड बना शिकारियों और भू-माफिया का अड्डा, विस्फोटकों से मर रही गायें, ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से लगाई गुहार

पोंग वेटलैंड बना शिकारियों और भू-माफिया का अड्डा, विस्फोटकों से मर रही गायें, ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से लगाई गुहार 


ज्वाली : रितिक्ष कुमार /

 हिमाचल प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध पोंग बांध वन्यजीव अभयारण्य (Pong Wetland) में बढ़ती अवैध गतिविधियों और बेसहारा गौवंश के साथ हो रही क्रूरता को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। जवाली और आसपास के गांवों के निवासियों ने उपमंडल अधिकारी (SDM) के माध्यम से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को एक मांग पत्र भेजकर इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है।

विस्फोटक और जहर का हो रहा इस्तेमाल

ग्रामीणों ने पत्र में आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय संपत्ति कहलाने वाला यह वेटलैंड अब भू-माफिया, शिकारियों और शरारती तत्वों का सुरक्षित अड्डा बन चुका है। शिकायत के अनुसार:

शिकारी वन्यजीवों और मवेशियों को मारने के लिए आटे के गोलों में विस्फोटक सामग्री (Potash) भरकर रख रहे हैं, जिसे खाने से कई गायों की दर्दनाक मौत हो चुकी है।

क्षेत्र में जहरीला दाना डालकर और बंदूकों का उपयोग कर बेरोक-टोक शिकार किया जा रहा है।


शिकार के लिए जगह-जगह नायलॉन के जाल और लोहे की जंदरियां (फंदे) बिछाई गई हैं।

वन विभाग की भूमिका पर उठाए सवाल

पत्र में ग्रामीणों ने कड़ा रोष जताते हुए कहा है कि वन्यजीव विभाग की कथित ढिलाई के कारण इन असामाजिक तत्वों को खुली छूट मिली हुई है। प्रवासी पक्षियों और स्थानीय वन्यजीवों के साथ-साथ यहां चरने वाली बेसहारा व पालतू गायों पर भी लगातार जुल्म हो रहे हैं, जिससे ईको-सेंसिटिव जोन (Eco-sensitive zone) का संतुलन बिगड़ रहा है।

मुख्य मांगें:

दोषी शिकारियों और भू-माफिया के खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाए।

प्रदेश सरकार इस गंभीर विषय पर तुरंत आधिकारिक बयान जारी करे ताकि स्थानीय जनता में सुरक्षा के प्रति विश्वास पैदा हो सके।

हस्ताक्षरकर्ता:

इस मांग पत्र पर नसीब सिंह गुलेरिया, मिल्खी राम शर्मा, मांगत राम, उजागर सिंह, भूपिंदर सिंह और देस राज, विजय सिंह पुत्र शमशेर सिह, सुधीर कुमार पुत्र स्वर्गीय  राम चंद . राजीव कुमार पुत्र स्वर्गीय ब्रह्म देव. दिनेश्वर सिंह पुत्र  मस्त राम. जबर सिंह पुत्र स्वर्गीय  मुंशी राम. रविंद्र सिंह पुत्र स्वर्गीय  जोगिंदर सिंह. सरवन सिंह पुत्र  कल्याण सिंह. शमशेर सिंह पुत्र स्वर्गीय  रण सिंह. नरिंदर सिंह पुत्र  गणपत राय. बलजीत सिंह पुत्र  राम सिंह. सौरव पुत्र विशंभर सिंह. निखिल पुत्र मनजीत कुमार. कुलवंत सिंह पुत्र  निकू राम. राम सरूप पुत्र चुन्नी लाल. सुखदेव सिंह पुत्र  अमी चंद. विमल देवी. रजनी बाला सहित कई अन्य ग्रामीणों के हस्ताक्षर मौजूद हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह मामला जनहित से जुड़ा है और यदि सरकार ने जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए, तो वे आंदोलन को मजबूर होंगे।

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