क्रिकेट फिटनेस का नया पैमाना: ब्रोंको और यो-यो टेस्ट
क्रिकेट फिटनेस का नया पैमाना: ब्रोंको और यो-यो टेस्ट
भारतीय क्रिकेट टीम के चयन में अब सिर्फ प्रदर्शन ही नहीं, बल्कि फिटनेस भी एक अहम भूमिका निभाती है। हाल के दिनों में क्रिकेटरों की फिटनेस मापने के लिए ब्रोंको टेस्ट और यो-यो टेस्ट का इस्तेमाल बढ़ गया है। आइए जानते हैं कि ये टेस्ट क्या हैं और क्यों ये खिलाड़ियों के लिए इतने ज़रूरी हो गए हैं।
ब्रोंको टेस्ट: ताकत और सहनशक्ति की परीक्षा
ब्रोंको टेस्ट एक ऐसा फिटनेस टेस्ट है जो खिलाड़ियों की स्टैमिना (s_tamina_)_, सहनशक्ति (endurance) और overall फिटनेस को मापता है। यह टेस्ट मूल रूप से रग्बी खेल में इस्तेमाल होता था, लेकिन अब इसे क्रिकेट में भी अपनाया गया है।
टेस्ट कैसे होता है?
इसमें एक खिलाड़ी को 20 मीटर, 40 मीटर और 60 मीटर की दूरी पर बार-बार दौड़ना होता है। यह एक सेट होता है जिसमें खिलाड़ी को पहले 20 मीटर जाना और वापस आना होता है, फिर 40 मीटर जाना और वापस आना, और अंत में 60 मीटर जाना और वापस आना होता है। एक खिलाड़ी को कुल 5 ऐसे सेट लगातार पूरे करने होते हैं, जिससे कुल दूरी 1200 मीटर (1.2 किमी) हो जाती है।
पास होने के लिए समय सीमा:
* 4 मिनट 30 सेकंड से कम: यह बेहतरीन फिटनेस का संकेत माना जाता है।
* 5 मिनट से ऊपर: औसत फिटनेस।
* 6 मिनट से ज़्यादा: आमतौर पर इसे अनफिट माना जाता है।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और अन्य क्रिकेट बोर्ड इस टेस्ट का इस्तेमाल यह जांचने के लिए करते हैं कि क्या कोई खिलाड़ी लंबे समय तक चलने वाले मैचों में कड़ी मेहनत और दौड़भाग को झेल सकता है या नहीं।
यो-यो एंड्योरेंस टेस्ट: रिकवरी और स्पीड का आकलन
यो-यो टेस्ट एक और महत्वपूर्ण फिटनेस टेस्ट है जो क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी जैसे खेलों में खिलाड़ियों की रिकवरी क्षमता और overall फिटनेस को परखता है।
टेस्ट कैसे होता है?
इस टेस्ट में 20 मीटर की दूरी पर दो कोन रखे जाते हैं। खिलाड़ी को एक बीप साउंड (beep sound) की मदद से इन दोनों कोन के बीच लगातार दौड़ना होता है। हर अगले स्तर पर बीप की स्पीड बढ़ती जाती है, जिसका मतलब है कि खिलाड़ी को अपनी दौड़ने की रफ्तार बढ़ानी पड़ती है। हर 10 सेकंड के बाद एक छोटा ब्रेक मिलता है। टेस्ट तब खत्म हो जाता है जब कोई खिलाड़ी लगातार दो बार बीप की आवाज के साथ दौड़ने में पीछे रह जाता है।
स्कोरिंग:
इस टेस्ट में खिलाड़ी के स्तर (level) को स्कोर किया जाता है।
* जैसे: लेवल 16.1 (करीब 1120 मीटर)
* लेवल 17.1 (करीब 1200 मीटर)
* लेवल 18.1 (करीब 1280 मीटर)
BCCI ने पहले भारतीय टीम में चयन के लिए यो-यो टेस्ट पास करना अनिवार्य कर दिया था। इस टेस्ट में विराट कोहली और मनीष पांडे जैसे खिलाड़ियों ने 19 से ऊपर का स्कोर हासिल किया था, जबकि कुछ खिलाड़ियों को इस टेस्ट में फेल होने के कारण टीम से बाहर भी होना पड़ा था।
संक्षेप में, ब्रोंको टेस्ट समय पर आधारित है (आप 1.2 किमी कितनी जल्दी पूरा करते हैं), जबकि यो-यो टेस्ट स्तर पर आधारित है (आप बीप के साथ कितनी देर तक दौड़ते रहते हैं)। दोनों ही टेस्ट खिलाड़ियों की शारीरिक क्षमता का आकलन करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए पूरी तरह से फिट हैं।
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