अनुराग सिंह ठाकुर के जन्मदिवस पर हथकरघा व स्वदेशी आंदोलन को युवाओं ने दिया बल - Smachar

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अनुराग सिंह ठाकुर के जन्मदिवस पर हथकरघा व स्वदेशी आंदोलन को युवाओं ने दिया बल

अनुराग सिंह ठाकुर के जन्मदिवस पर हथकरघा व स्वदेशी आंदोलन को युवाओं ने दिया बल


प्रयास संस्था के तत्वावधान में शुक्रवार को सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर के जन्मदिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आव्हान से प्रेरित होकर व अनुराग ठाकुर के स्वदेशी अपनाओं मुहिम के तहत युवाओं ने “स्वदेशी अपनाओ – हथकरघा बचाओ” प्रदर्शनी का आयोजन किया । प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य हथकरघा उद्योग और स्वदेशी आंदोलन को नई ऊर्जा प्रदान करना था।

गांधी चौक पर स्थानीय महिला बुनकरों और कारीगरों द्वारा निर्मित वस्त्रों एवं हस्तनिर्मित उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई, जिसने लोगों का ध्यान आकर्षित किया।


प्रयास संस्था के सदस्यों ने बताया कि सांसद अनुराग ठाकुर के सहयोग व मार्गदर्शन में यह अभियान ग्रामीण महिलाओं की आय बढ़ाने और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने की दिशा में एक छोटा किंतु महत्वपूर्ण कदम है। इन महिलाओं को अनुराग ठाकुर के सहयोग से लगभग 3 साल पहले मध्यप्रदेश के जबलपुर में ट्रेनिंग करवाई गई थी उसके बाद "चल चरखा" मुहिम के अंतर्गत पहला केंद्र अवाहदेवी में शुरू किया गया था जिसकी सफलता को देखते हुए दो अन्य केंद्र कक्ड़ियार व टौणीदेवी में शुरू किए गए है । 3 केंद्रों के माध्यम से लगभग 100 से अधिक महिलाओं को स्वरोजगार का अवसर इस "चल चरखा" मुहिम के तहत उपलब्ध करवाया जा रहा है । 


युवाओं ने ‘स्वदेशी अपनाओ – हथकरघा बचाओ’ का नारा देते हुए स्थानीय महिला बुनकरों द्वारा बनाए गए व प्रदर्शनी में लाए गए वस्त्रों की खरीददारी की व जिला नेतृत्व को भेंट की । प्रदर्शनी में सूती और रेशमी वस्त्रों के साथ-साथ हस्तनिर्मित गृह उपयोगी वस्तुएँ, आचार, बड़ियां, जूट बैग कलाकृतियां भी शामिल थीं।


युवाओं ने कहा, “हथकरघा भारतीय संस्कृति की पहचान है। यदि युवा स्वदेशी उत्पादों को अपनाएँगे, तो यह न केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता लाएगा, बल्कि हमारी परंपराओं को भी जीवित रखेगा।” कार्यक्रम के दौरान युवाओं ने ‘स्वदेशी संकल्प पत्र’ पर हस्ताक्षर कर देशी वस्त्रों व उत्पादों के उपयोग का प्रण लिया। 

संस्था के पदाधिकारियों ने कहा कि “स्वदेशी आंदोलन महात्मा गांधी की सोच का प्रतीक है। यदि युवा इस दिशा में कदम बढ़ाएँ, तो न केवल देश आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।”

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