हिमाचल में विश्वकर्मा योजना के तहत 1.83 लाख कारीगर चयनित: संसद में जानकारी
हिमाचल में विश्वकर्मा योजना के तहत 1.83 लाख कारीगर चयनित: संसद में जानकारी
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे ने राज्यसभा सदस्य सुश्री इंदु बाला गोस्वामी के प्रश्न का उत्तर देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश में अब तक 1,83,245 अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। मंत्री ने सदन को अवगत कराया कि इसी योजना के तहत पंजाब में 2,01,151, हरियाणा में 7,30,196, उत्तराखंड में 2,77,364, जम्मू-कश्मीर में 4,94,415 और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में 4,119 अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना एक केन्द्रीय क्षेत्र योजना है, जिसे 17 सितंबर 2023 को शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य पारम्परिक कारीगरों तथा हाथों और औज़ारों से काम करने वाले शिल्पकारों को व्यापक सहायता प्रदान करना है। देशभर में अब तक कुल 2,72,52,986 अभ्यर्थियों को इस योजना के तहत प्रशिक्षण दिया गया है, जिनमें कर्नाटक से सर्वाधिक 32,32,937 और लक्षद्वीप से न्यूनतम 1,446 अभ्यर्थियों को प्रशिक्षित किया गया है। सुश्री करंदलाजे ने जानकारी दी कि वित्तीय वर्ष 2023-24 से 2027-28 की अवधि के लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना हेतु कुल 13,000 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है, जिसके माध्यम से देशभर के कारीगरों को चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षित और सशक्त बनाया जा रहा है। योजना के अंतर्गत कारीगरों को 18 पारंपरिक ट्रेडों में कौशल प्रशिक्षण, आधुनिक औज़ारों की उपलब्धता तथा ऋण और विपणन जैसी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। मंत्री ने यह भी बताया कि 30 लाख कारीगरों के निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले अब तक 30 लाख कारीगरों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है और योजना अपने पांच वर्षीय लक्ष्य की पूर्ति की ओर अग्रसर है। सुश्री करंदलाजे के अनुसार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु राज्यों ने अभी तक प्रार्थना पत्रों की प्रोसेसिंग के लिए राज्य स्तरीय मॉनिटरिंग समिति और जिला कार्यान्वयन समिति का गठन नहीं किया है, जिसके कारण इन राज्यों में योजना के क्रियान्वयन की प्रक्रिया अपेक्षाकृत धीमी है।


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