पूर्व विधायक प्रवीण कुमार ने बेघर हो रहे परिवारों के लिए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की मांग की
पूर्व विधायक प्रवीण कुमार ने बेघर हो रहे परिवारों के लिए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की मांग की
पालमपुर, हिमाचल प्रदेश - पालमपुर के पूर्व विधायक और 'इंसाफ' संस्था के अध्यक्ष, प्रवीण कुमार, ने हिमाचल प्रदेश सरकार से उन हजारों परिवारों की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में पैरवी करने की अपील की है जो माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर बेघर हो रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी का ध्यान इस ओर खींचते हुए कहा कि जिस तरह सरकार पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय की जमीन को पर्यटन गांव के लिए सुप्रीम कोर्ट में हस्तांतरित करने जा रही है, उसी तरह उसे गरीब और बेघर परिवारों के लिए भी खड़ा होना चाहिए।
प्रमुख मांगें और तर्क
प्रवीण कुमार ने तर्क दिया कि कई परिवार पीढ़ियों से झोपड़ियों और बस्तियों में रह रहे हैं और वे अपनी आजीविका इसी तरह चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्णय के आधार पर प्रशासन की कार्रवाई इन परिवारों को बर्बाद कर देगी।
सरकार की जिम्मेदारी: उन्होंने चाणक्य नीति का हवाला देते हुए कहा, "राजा को अपनी प्रजा के हक-हकूकों के लिए जिस भी हद तक जाना पड़े, जाना चाहिए।" उन्होंने सरकार को भगवान के बाद दूसरी सबसे बड़ी ताकत बताया और कहा कि उसे अपने नागरिकों की रक्षा करनी चाहिए।
* सुप्रीम कोर्ट या विधानसभा: पूर्व विधायक ने सरकार को दो विकल्प दिए। पहला, वह इन परिवारों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करे, या दूसरा, विधानसभा में एक विधेयक लाकर इन्हें कानूनी सुरक्षा प्रदान करे।
* राजस्व अर्जन का सुझाव: उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि जिन मामलों में अवैध कब्जों से सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, या बिजली जैसी सार्वजनिक सेवाओं में कोई बाधा नहीं आ रही है, वहां सरकार लीज शुल्क योजना लागू कर सकती है। इससे सरकार को राजस्व भी मिलेगा और लोग भी बेघर होने से बचेंगे
डाढ़ बाजार का उदाहरण
प्रवीण कुमार ने अपने तर्क को पुष्ट करने के लिए पालमपुर के डाढ़ बाजार का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले, उच्च न्यायालय के आदेश पर यहां बनी अवैध मार्केट को बुलडोजर से गिरा दिया गया था, लेकिन बाद में सरकार ने उसी जगह पर एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाकर राजस्व कमाया। उन्होंने कहा कि सरकार के पास इन मामलों को मानवीय और आर्थिक दोनों तरीकों से हल करने का विकल्प मौजूद है।
उन्होंने जोर दिया कि सख्त कार्रवाई केवल वहीं होनी चाहिए जहां अवैध कब्जों से जनता को परेशानी हो रही हो। अन्यथा, जहां ऐसी कोई समस्या नहीं है, सरकार को इन परिवारों के हितों की रक्षा करनी चाहिए और उन्हें बेघर होने से बचाना चाहिए।


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