एनएच-003 निर्माण से तल्यहाड़ में मकानों को नुकसान, जवाबदेही पर उठे सवाल
तल्यहाड़ क्षेत्र में एनएच-003 निर्माण कार्य से बढ़ा खतरा, मकान धंसाव के कगार पर – प्रशासन से जवाबदेही की मांग
मंडी अजय सूर्या : तल्यहाड़ क्षेत्र में चल रहे एनएच-003 निर्माण कार्य ने स्थानीय निवासियों की चिंता बढ़ा दी है। प्रो. अनुपमा सिंह ने स्थल निरीक्षण के बाद बताया कि सड़क चौड़ीकरण और निर्माण कार्यों के चलते आस-पास के घरों की नींव कमजोर हो रही है और कई मकान धंसाव के कगार पर पहुंच गए हैं।
उन्होंने कहा कि जब सड़क बनती है तो “ज़मीन और जन दोनों सुरक्षित होने चाहिए वरना विकास बर्बादी बनकर रह जाता है।” उन्होंने चेताया कि यदि प्रशासन और एनएचएआई 72 घंटे के भीतर प्रभावित परिवारों के हित में जवाब और ठोस कदम नहीं उठाते हैं, तो यह मामला जनहित याचिका और उच्च प्रशासनिक मंचों तक ले जाया जाएगा।
उठे गंभीर सवाल
स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों ने मीडिया व जनसामान्य के सामने कई सवाल खड़े किए हैं—
क्या निर्माण कार्य से पहले भूमि अध्ययन (जियोटेक्निकल सर्वे) और असर मूल्यांकन (इंपैक्ट असेसमेंट) कराया गया था?
क्या अनुबंध में आस-पास के घरों की संरचना पर संभावित प्रभावों की रोकथाम का प्रावधान था?
अब तक कितने प्रभावित परिवारों को अस्थायी राहत या पुनर्वास मिला है?
सुरक्षा हेतु तत्काल कौन-से कदम उठाए गए — शॉरिंग, अस्थायी निकासी, मरम्मत या मुआवज़ा?
क्या निर्माण एजेंसी ने प्रशासन को पहले ही संभावित नुकसान की सूचना दी थी?
स्थायी समाधान जैसे ड्रेनेज सुधार, ब्रेकवॉल और सतही शॉरिंग की क्या योजना व समय-सीमा है?
जवाबदेही तय करने के लिए क्या किसी के खिलाफ जांच या नोटिस जारी हुआ है?
प्रभावित परिवार की स्थिति
इस संकट से सबसे अधिक प्रभावित परिवारों में श्री गोपाल सिंह सेन का परिवार शामिल है। सुपुत्र : प्रकाश सेन (धर्मपत्नी: श्रीमती पूर्णिमा),दिलीप सिंह (धर्मपत्नी: श्रीमती डिम्पल),माता जी: वृद्धावस्था में परिवार के साथ निवासरत।
यह परिवार पहले अपने पुराने मकान (एनएच-003 मार्ग पर स्थित) में रह रहा था। लेकिन सड़क निर्माण कार्य और उससे उत्पन्न परिस्थितियों के कारण उनका मकान प्रभावित होकर नष्ट हो गया। अब पूरा परिवार विस्थापित स्थिति में जीने को मजबूर है।
जिम्मेदारी पर मांग
प्रो. अनुपमा सिंह ने मांग की कि प्रशासन, एनएचएआई और निर्माण एजेंसी इन सवालों का लिखित उत्तर सार्वजनिक करें तथा प्रभावित परिवारों को तुरंत राहत, पुनर्वास और सुरक्षा के ठोस इंतज़ाम उपलब्ध कराए जाएं।
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