जोगिंदर नगर में आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स का जोरदार प्रदर्शन, केंद्र सरकार को सौंपा ज्ञापन - Smachar

Header Ads

Breaking News

जोगिंदर नगर में आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स का जोरदार प्रदर्शन, केंद्र सरकार को सौंपा ज्ञापन

 जोगिंदर नगर में आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स का जोरदार प्रदर्शन, केंद्र सरकार को सौंपा ज्ञापन


जोगिंदर नगर

सीटू से संबद्ध आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स यूनियन की चौंतड़ा प्रोजेक्ट कमेटी ने आज जोगिंदर नगर में अपनी लंबित मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। वर्कर्स के इस विशाल जुलूस में लगभग 100 आंगनबाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स ने भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने एसडीएम कार्यालय के माध्यम से केंद्र सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी को अपनी मांगों से जुड़ा ज्ञापन भेजा।


प्रदर्शन का नेतृत्व किसान सभा के जिला अध्यक्ष एवं जिला परिषद सदस्य कुशाल भारद्वाज, यूनियन की प्रधान तमन्ना, सचिव रानी देवी, उप प्रधान अर्चना, हीरो देवी, रंजना, सह सचिव कुसमा सहित अन्य पदाधिकारियों ने किया।


यूनियन की प्रमुख मांगें


प्रधान तमन्ना, उप प्रधान अर्चना व सचिव रानी देवी ने कहा कि—


आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।


हरियाणा की तर्ज पर मानदेय बढ़ाया जाए और वेतनमान सेवाकाल के आधार पर तय किया जाए।


सभी वर्कर्स व हेल्पर्स को पेंशन व ग्रेच्युटी दी जाए।


विभिन्न विभागों द्वारा दिए जाने वाले अतिरिक्त कार्यों के लिए अतिरिक्त मानदेय प्रदान किया जाए।


बूथ लेवल ऑफिसर के रूप में तैनाती के दौरान उन्हें नियमित आंगनबाड़ी कार्यों से छूट दी जाए।


FRS प्रमाणीकरण की अनिवार्यता को तुरंत रोका जाए।



श्रम कानूनों में बदलाव मजदूर विरोधी—कुशाल भारद्वाज


प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कुशाल भारद्वाज ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर 4 श्रम संहिताएं लागू करना मजदूर विरोधी कदम है। उन्होंने कहा कि स्कीम वर्कर्स—विशेषकर आंगनबाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स—से अनेक जिम्मेदारियां लेने के बावजूद उन्हें बेहद कम मानदेय दिया जा रहा है।


उन्होंने बताया कि 45वें और 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू नहीं किया जा रहा है, जबकि 2013 में हुए 45वें सम्मेलन में आंगनबाड़ी कर्मियों को नियमित करने की स्पष्ट सिफारिश की गई थी। वहीं केंद्र सरकार द्वारा आईसीडीएस बजट में लगातार की जा रही कटौती भी उनकी उपेक्षा को दर्शाती है।


आईसीडीएस की 50वीं वर्षगांठ को किया नजरअंदाज


कुशाल भारद्वाज ने कहा कि आईसीडीएस योजना को शुरू हुए 50 वर्ष पूरे हो चुके हैं और देशभर में 26 लाख वर्कर्स व हेल्पर्स 6 वर्ष से कम आयु के 8 करोड़ बच्चों की देखभाल करती हैं। 2 अक्टूबर 1975 से शुरू हुई इस योजना ने बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य, पोषण व शिक्षा में अमूल्य योगदान दिया है, लेकिन केंद्र सरकार और महिला व बाल विकास मंत्रालय ने इसकी 50वीं वर्षगांठ को नजरअंदाज कर दिया।


उन्होंने मांग की कि सरकार आईसीडीएस को कमजोर करने वाले सभी कदम—जैसे लाभार्थियों को सीधा नकद हस्तांतरण, आधार की अनिवार्यता, योजनाओं का अत्यधिक डिजिटलीकरण, निगरानी के नाम पर लक्ष्यीकरण और केंद्रीकृत रसोई के माध्यम से निजीकरण—तुरंत वापस ले।


प्रदर्शन के बाद प्रतिनिधिमंडल ने एसडीएम कार्यालय में अपनी मांगों से जुड़ा ज्ञापन सौंपा और जल्द समाधान की मांग की।

कोई टिप्पणी नहीं