बैजनाथ सहित भारत के 3 स्थानों पर नहीं होता रावण दहन
बैजनाथ सहित भारत के 3 स्थानों पर नहीं होता रावण दहन
बिसरख: उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में स्थित बिसरख नाम का गांव है। इस गांव के लोग रावण को अपना वंशज मानते हैं। लोक कथाओं की मानें तो यह वही जगह है, जहां पर रावण का जन्म हुआ था। इस गांव के लोग दशहरे पर रावण का पुतला नहीं जलाते हैं बल्कि रावण की पूजा किया करते हैं।
बैजनाथ: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित बैजनाथ में भी दशहरे के दिन रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है। स्थानीय लोगों की मानें तो उनका कहना है कि इसी जगह पर रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। इसी कारण इस जगह में बसे लोगों में रावण के प्रति श्रद्धा भाव देखने को मिलता है और वह दहन को अशुभ भी मानते हैं।
मंदसौर: मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के कुछ गांव में दशहरा नहीं मनाया जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह जगह रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका माना जाता है। ऐसे में रावण को इस जगह के लोग दामाद के तौर पर मानते हैं और उसके पुतले को नहीं जलाते हैं बल्कि शोक मनाते हैं।
काकिनाडा: आंध्र प्रदेश के काकिनाडा शहर के कुछ हिस्सों में भी दशहरे पर रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है। इस समुदाय के लोग रावण को ब्राह्मण व पंडित के रूप में मानते हैं। न ही वे दशहरा मनाते हैं और ना ही पुतला जलाते हैं।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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