दिल्ली, नाले में बही बच्चे संग महिला ने मरने के बाद भी मासूम का हाथ नहीं छोड़ा
दिल्ली, नाले में बही बच्चे संग महिला ने मरने के बाद भी मासूम का हाथ नहीं छोड़ा
दिल्ली के यूपी की बॉर्डर से सटे गाजीपुर इलाके की खोड़ा कॉलोनी में भी जगह-जगह पानी भर गया. जलजमाव इस कदर था कि यह समझना मुश्किल था कि सड़क कहां है और नाला, नाली या गटर कहां है।
बुधवार शाम को करीब साढ़े सात बजे सब्जी खरीदकर लौटती तनुजा अपने हाथ में बेटे प्रियांश की उंगली पकड़े थी और पानी में रास्ता तलाशते हुए घर की ओर बढ़ रही थी. अचानक तनुजा के हाथ से बेटे की उंगली छूटी और वह एक ऐसे नाले में जा गिरा जो ऊपर से दिखाई नहीं दे रहा था. पानी में सड़क और नाला एक जैसे दिखाई दे रहे थे. जैसे ही प्रियांश नाले में गिरा तनुजा बिना देर किए खुद भी नाले में कूद गई. नाले में पानी का इतना तेज बहाव था कि वे उसमें जल्द ही लापता हो गए।
घटना के बाद आसपास के लोगों ने मां-बेटे को बचाने के प्रयास किए लेकिन वे सफल नहीं हो सके. इसके बाद दमकल विभाग की डिजास्टर यूनिट को घटना की सूचना दी गई. घंटों बाद रात में 11 बजे दोनों के शव लगभग 500 मीटर दूर बरामद किए गए. प्रत्यक्षदर्शी यह देखकर आश्चर्यचकित थे कि मां मौत के बाद भी अपने बेटे का हाथ पकड़े हुए थी. ऐसा लगता है कि मां ने नाले में तेजी से कूदकर बेटे का हाथ थाम लिया था, लेकिन वह तेज बहाव में न तो बेटे को बाहर निकाल सकी, न ही खुद बाहर निकल सकी. उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उनकी मौत की पुष्टि की
बताया जाता है कि मां और उसके मासूम बेटे की खोड़ा कॉलोनी में एक निर्माणाधीन नाले में डूबने से मौत हुई. यह नाला सड़क के किनारे है और जलभराव होने पर दिखाई नहीं देता है।
तनुजा के परिजनों ने कहा कि अगर बचाव अभियान तेज होता तो मां और बेटे को बचाया जा सकता था. उनके पति गोविंद सिंह नोएडा में एक निजी फर्म में काम करते हैं. वे इस घटना के दौरान अपनी ड्यूटी पर गए थे. उन्होंने कहा, "अगर बचाव अभियान तेज होता तो मेरी पत्नी और बेटे को बचाया जा सकता था. हर साल ऐसी घटनाएं होती हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
तनुजा के चाचा हरीश रावत ने कहा कि नाला ओवरफ्लो हो रहा था और वह उन्हें इसका पता नहीं चल सका. उन्होंने बताया कि "हमें शाम 7.30 बजे के आसपास सूचना मिली. हमने 100 नंबर डायल किया तो पुलिस बचाव दल के साथ आई, लेकिन उनके पास उचित उपकरण नहीं थे. वे कोशिश करते रहे, लेकिन शव दो घंटे से अधिक समय बाद बरामद किए गए।
उन्होंने कहा कि वे तनुजा और प्रियांश को एक निजी टैक्सी में अस्पताल ले गए, इस उम्मीद में कि वे बच जाएंगे. उन्होंने कहा, "हम उन्हें लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल ले गए. कोई एम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं की गई." रावत ने कहा कि तनुजा ने मरने के बाद भी अपने बेटे का हाथ नहीं छोड़ा. उन्होंने कहा, "जब शव मिला, तब भी वह उसे पकड़े हुए थी।
इलाके के निवासियों ने नगर निगम अधिकारियों की निंदा करते हुए कहा कि यह नाला पिछले तीन महीनों से खुला है और हर बारिश में ओवरफ्लो हो जाता है. एक निवासी ने कहा, "हमने कई बार शिकायत की है, लेकिन प्रशासन काम नहीं करना चाहता. मैं यहां 20 साल से रह रहा हूं और मैंने हर मानसून में सड़कों पर पानी भरा हुआ देखा है. हमने सांसदों, विधायकों, अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया." उन्होंने कहा कि, ' अगर कोई नाला निर्माणाधीन है, तो उसे ढंकना प्रशासन का कर्तव्य है. नाला खुला था और ओवरफ्लो हो रहा था, महिला इसे देख नहीं पाई और गिर गई. अगर नाला बंद होता तो वह जीवित होती।
पुलिस ने मां-बेटे के शवों का पोस्टमॉर्टम कराया है. पुलिस इस मामले की जांच-पड़ताल में जुट गई है. ईस्ट दिल्ली की डीसीपी अपूर्वा गुप्ता ने बताया कि, "कल रात 8:30 बजे हमें खोड़ा कॉलोनी में एक मां और बेटे के नाले में गिरने की पीसीआर कॉल मिली... हमने शव बरामद कर लिए हैं, जांच में पता चला है कि मृतक 23 साल की महिला थी. वह अपने तीन साल के बेटे के साथ सब्जी खरीदने बाजार गई थी और लौटते समय दोनों जलभराव के कारण गिर गए और उनकी मौत हो गई।
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